Sabse Sukhi Kon? -Osho

सबसे सुखी कौन है ? ओशो
एक बार भगवान बुद्ध सत्संग कर रहे थे।
उनका उपदेश सुनने के लिए बहुत-से
लोग आते थे। एक दिन की बात है
कि प्रवचन के समय उनके शिष्य आनंद
ने पूछा - "भंते, आपके सामने हजारों
लोग बैठे हैं| बताइए इनमें सबसे सुखी
कौन है?"

बुद्ध ने कहा - "वह देखो, सबसे पीछे
दुबला-सा फटेहाल जो आदमी बैठा
है, वह सबसे अधिक सुखी है|"
यह उत्तर सुनकर आनंद की समस्या
का समाधान नहीं हुआ। उसने कहा -
"यह कैसे हो सकता है?"
बुद्ध बोले - "अच्छा अभी बताता
हूं।"
उन्होंने बारी-बारी से सामने बैठे
लोगों से पूछा - "तुम्हें क्या
चाहिए?"
किसी ने धन मांगा, किसी ने
संतान, किसी ने बीमारी से मुक्ति
मांगी, किसी ने अपने दुश्मन पर
विजय मांगी, किसी ने मुकदमे में
जीत की प्रार्थना की| एक भी
आदमी ऐसा नहीं निकला, जिसने
कुछ-न-कुछ न मांगा हो| अंत में उस
फटेहाल आदमी की बारी आई| बुद्ध
ने पूछा -- "कहो भाई, तुम्हें क्या
चाहिए?"
उस आदमी ने कहा - "कुछ भी नहीं|
अगर भगवान को कुछ देना ही है तो
बस इतना कर दें कि मेरे अंदर कभी
कोई चाह ही पैदा न हो| मैं ऐसे ही
अपने को बड़ा सुखी मानता हूं।"
तब बुद्ध ने आनंद से कहा - "आनंद।
जहां इच्छाये है, वहां सुख नहीं हो
सकता|"
ओशो

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