Sadhana Ke Seven Steps - Osho

💎 7 Steps of Sadhana 💎


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  • साधना का पहला सोपान है ध्यान

निराकार के प्रति सतत जागरूकता ध्यान है। ध्यान के द्वारा हम अहंकार से मुक्त हो सकते हैं। ध्यान की उपलब्धि मौन है और उसकी मंजिल है साक्षी।
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  • साक्षी साधना का दूसरा सोपान है।
साक्षी का अर्थ है अपने निराकार स्वरूप का बोध रखते हुए कर्म करने का मजा लेना। साक्षी के द्वारा हम षट् रिपुओं - काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष से मुक्त हो सकते हैं।साक्षी की उपलब्धि मोक्ष है और मंजिल तथाता है।

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  • तथाता साधना का तीसरा सोपान है। 
तथाता का अर्थ है अपने अंतराकाश में, आत्मबोध में, सब्जेक्टिव अवेयरनेस में थिर होना। तथाता के द्वारा हम शिकायत भाव से मुक्त हो सकते हैं।तथाता की उपलब्धि है स्वीकार भाव और मंजिल है समाधि।

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  • समाधि साधना का चौथा सोपान है। 
समाधि का अर्थ है अंतराकाश में विश्राम।
जिसके लिए राजस्थान के संत दरिया कहते हैं-

"गिरह हमारी शून्य में, अनहद में विश्राम."


समाधि के द्वारा हम भय से मुक्ति पा सकते हैं। समाधि की उपलब्धि अमृत है,और मंजिल है सुरति।
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  • सुरति साधना का पांचवां सोपान है।
सुरति का अर्थ है परमात्मा के साथ संबंध स्थापित कर, उसका अंश होने की प्रतीत कर उसकी याद में जीना। सुरति के द्वारा हम द्वैत से मुक्त हो सकते हैं। सुरति की उपलब्धि है अद्वैत और मंजिल है सुमिरन।
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  • सुमिरन साधना का छठा सोपान है। 
सुमिरन का अर्थ है सुरति के साथ प्रभु से प्रेम। सुमिरन के लिए आवश्यक है गुरु का संग, नाद श्रवण, अहोभाव, सहजता, गहरी सांस, आत्मस्मरण, नाद के स्रोत का ज्ञान, मन्त्र (auto suggestion) और सांसारिक उत्तरदायित्व।
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  • प्रेम अथवा भक्ति साधना का सातवां सोपान है। 
भक्ति का अर्थ है गोविन्द के साथ जीवन की सहभागिता का मजा लेना। भक्ति रिक्तता से मुक्त करती है। इसकी उपलब्धि उत्सव है। जीवन एक रास हो जाता है।
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प्रेम की मंजिल गोविन्द है, नित्य प्रेम है, अथवा मंजिल है ही नहीं, क्योंकि हमें गोविन्द तक जाना नहीं होता, बल्कि स्वयं गोविन्द हमारे पास आ जाता है। हमारे जीवन का हिस्सा बन जाता है।

गुरु रामदास की तरह हम गा उठते हैं-
वडा मेरा गोबिंदु अगम अगोचर,
आदि निरंजनु निरंकारु जीउ।
ताकी गति कहीं न जाई अमिति वडिआई,
मेरा गोबिंद अलख अपार जीउ।

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