Mitra Kaun - Buddha Ke Deshanaa
RS : 147
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भारत में एक अनूठी परंपरा रही है कि जब फिर कोई बुद्ध पुरुष हो, तो अतीत के बुद्ध पुरुषों की वाणी को पुनरुज्जीवित करे। तुम्हारे हस्ताक्षर हटाए, तुमने जो धूल - ध्वंसावेश इकट्ठी कर दी है चारों तरफ, उसे हटाए, दर्पण को फिर निखराए, फिर उघाड़े। ओशो द्वारा भगवान बुद्ध की वाणी ‘धम्मपद’ पर दिए दस अमृत प्रवचनों का तीसरा भाग। इसमें सूत्र के रूप में गाथाएं हैं। इन्हें ओशो ने अपनी सरस वाणी में पिरोया है। वह सत्य और दुनिया की भलाई के निमित्त आध्यात्मिकता पर बल देते हैं। ओशो निश्चय ही इन गाथाओं के श्रेष्ठ गायक हैं।
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