➡️Anhad Mein Bishram (Hindi):
गिरह हमारा सुन्न में, अनहद में बिसराम।।’
"दरिया कहते हैं: एक ही बात याद रखो कि परमात्मा के सिवा न हमारी कोई माता है, न हमारा कोई पिता है। और ब्रह्म के सिवाय हमारी कोई जात नहीं। ऐसा बोध अगर हो, तो जीवन में क्रांति हो जाती है।तो ही तुम्हारे जीवन में पहली बार धर्म के सूर्य का उदय होता है।
तब तुम्हें पता चलेगा कि शून्य में हमारा घर है। हमारा असली घर, जिसको बुद्ध ने निर्वाण कहा है, उसी को दरिया शून्य कह रहे हैं। परम शून्य में, परम शांति में, जहां लहर भी नहीं उठती, ऐसे शांत सागर में या शांत झील में, जहां कोई विचार की तरंग नहीं, वासना की कोई उमंग नहीं, जहां विचार का कोई उपद्रव नहीं, जहां शून्य संगीत बजता है, जहां अनाहत नाद गूंज रहा है—वहीं हमारा घर है।
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