➡️ Apui Gai Herai (Hindi):
सत्य की खोज में, धर्म के आविष्कार में एक अदभुत क्षण आता है जब खोजने वाला स्वयं को स्वयं की तरह खो देता है और सागर की तरह पा लेता है। ‘पिय को खोजन मैं चली, आपुई गई हिराय।’ संत पलटू के इस वचन से शुरू होने वाली इस प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला में ओशो ने शिष्यों को मार्गदर्शन दिया है, साधकों की समस्याओं का समाधान किया है, जिज्ञासुओं को अंतर्दृष्टि दी है एवं संतापग्रस्त मनुष्यों को अहंकारमुक्ति व आनंद-उपलब्धि का उपाय समझाया है। इसके साथ ही साथ ओशो ने संत बुल्लेशाह के सीधे-सरल वचनों एवं आदि शंकराचार्य के सूत्रों पर भी अपनी पैनी अंतर्दृष्टि दी है। शेरो-शायरी एवं हास्य-कविताओं के भरपूर उपयोग से ओशो के ये प्रवचन समझने में सरल होने के साथ-साथ अत्यंत रसपूर्ण भी हो गए हैं।
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