Puja - Osho

पूजा - ओशो
यदि एक व्यक्ति भीड़ के विपरीत जाता है--कोई जीसस या कोई बुद्ध--भीड़ इस व्यक्ति के साथ अच्छा महसूस नहीं करती, भीड़ उसे मार डालेगी; या, यदि भीड़ बहुत सभ्य है, भीड़ उसकी पूजा शुरू कर देगी। लेकिन दोनों ही ढंग एक जैसे हैं। यदि भीड़ थोड़ी असभ्य है, जंगली है, जीसस को सूली दे देगी। यदि भीड़ भारतीयों जैसी होगी--बहुत सभ्य, सदियों पुरानी सभ्यता, अहिंसक है, प्रेमपूर्ण है, आध्यात्मिक है--वे बुद्ध की पूजा करेंगे। लेकिन पूजा के द्वारा वे कह रहे हैं : हम अलग हैं, आप अलग हैं। हम आपका अनुसरण नहीं कर सकते, हम आपके साथ नहीं आ सकते। आप अच्छे हो, इतने अच्छे हो कि हमें आप पर भरोसा नहीं आता। लेकिन आप हमारे जैसे नहीं हैं। आप परमात्मा हैं--हम आपकी पूजा करेंगे। लेकिन हमें तकलीफ न दो; ऐसी बातें हमें मत कहो जो हमारी पैरों तले जमीन खिसका दे, जो हमारी गहरी नींद को खराब कर दे।
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जीसस की हत्या करो या बुद्ध की पूजा करो--दोनों एक ही बात है। जीसस की हत्या कर दी गई ताकि भीड़ भूल सके कि ऐसा कोई व्यक्ति हुआ भी, क्योंकि यदि यह व्यक्ति सच्चा है... और यह व्यक्ति सच्चा है। इसका पूरा होना इतना आनंद और आशीष से भरा है कि वह सच्चा है; चूंकि सत्य को देखा नहीं जा सकता, बस खूशबू जो सत्य से आती है, व्यक्ति महसूस कर सकता है। आनंद को महसूस किया जा सकता है, और यह सबूत है कि यह व्यक्ति सच्चा है। पर यदि यह व्यक्ति सच्चा है, तब सारी भीड़ गलत हो जाती है, और यह बहुत ज्यादा हो जाता है। सारी भीड़ ऐसे व्यक्ति को बर्दाश्त नहीं कर सकती; वह कांटा है, पीड़ादायी है। इस व्यक्ति को खतम करना होगा--या पूजा करनी होगी, ताकि हम कह सकें : आप किसी दूसरी दुनिया से आए हैं, आप हम में से नहीं हैं। आप अजीब हैं, आप सामान्य नियम नहीं हैं। हो सकताहै कि आप अपवाद हैं, लेकिन अपवाद सिर्फ नियम को सिद्ध करते हैं। आप आप हैं, हम हम हैं : हम अपनी राह चलेंगे। शुभ है कि आप आए--हम आपका बहुत सम्मान करते हैं--लेकिन हमें परेशान ना करो। हम बुद्ध को मंदिर में रख देते हैं ताकि उन्हें बाजार में आने की जरूरत ना पड़े; वर्ना वे परेशानी पैदा करेंगे।

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