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ओशो का स्वर्णिम बचपन

ओशो का स्वर्णिम बचपन  मे रे बचपन में मेरे माता पिता के साथ यह प्रतिदिन की समस्‍या थी। मैंने उन…

जिम्मेदारी - ओशो

जिम्मेदारी तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। समाज बड़ा चालाक है। इसने हमारे सबसे सुंद…

प्रेम द्वार है - ओशो

प्रेम द्वार है - ओशो  "यदि प्रेम में आवेश है, तब प्रेम नर्क बन जाएगा। यदि प्रेम में आसक्त…

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