प्रेम करना और प्रेम की मांग करना दो अलग बातें हैं - ओशो

 प्रेम करना और प्रेम की मांग करना दो अलग बातें हैं



"अपने जीवन को प्रेम से भर दो। पर तुम कहोगे, 'हम तो हमेशा प्रेम करते हैं।' और मैं तुमसे कहता हूं, तुम शायद ही कभी प्रेम करते होगे। यह हो सकता है कि तुम प्रेमातुर होओ... और इन दोनों बातों में बहुत बड़ा अंतर है. प्रेमपूर्ण होना और प्रेम के लिए आतुर होना यह दोनों बहुत विपरीत बातें हैं। हम में से बहुत लोग अपना सारा जीवन बच्चों जैसे रह जाते हैं क्योंकि हर कोई प्रेम खोज रहा है। प्रेम करना एक बहुत ही रहस्यपूर्ण बात है; प्रेम के लिए आतुर होना एक बहुत बचकाना बात है। छोटे बच्चे प्रेम के लिए आतुर होतें हैं; जब मां उन्हें प्रेम करती है तब वह बढ़ते हैं। उनका परिवार तो उन्हें प्रेम करता ही है और वे दूसरों से भी प्रेम मांगते हैं। फिर जब वे बड़े होतें हैं, तो यदि वे पति हैं तो वे अपनी पत्नियों से प्रेम की अपेक्षा रखते हैं, यदि वे पत्नियां हैं तो वे अपने पतियों से प्रेम की अपेक्षा रखतीं हैं.

"और जो कोई भी दूसरों से प्रेम की अपेक्षा रखता है, दुख पाता है क्योंकि प्रेम मांगा नहीं जाता, प्रेम केवल दिया जाता है। मांगने में कभी सुनिश्चित नहीं होता कि वह तुम्हें मिलेगा। और जिस व्यक्ति से तुम प्रेम की अपेक्षा रखते हो वह भी तुम से प्रेम की अपेक्षा रखता है, यह एक समस्या है। यह तो ऐसा होगा जैसे दो भिखमंगे एक दूसरे से मिलें और भीख मांगें। पूरी दुनिया में पति और पत्नियों के बीच वैवाहिक समस्याएं हैं, और इनका केवल एक कारण है और वह यह है कि दोनों एक दूसरे से प्रेम की अपेक्षा रखतें हैं परन्तु प्रेम को देने में असमर्थ हैं।

"इसे थोड़ा विचार करके देखना--प्रेम के लिए आपकी निरंतर आतुरता। आप चाहतें हैं कि कोई आप से प्रेम करे और जब कोई आपसे प्रेम करता है, तो आपको अच्छा लगता है। लेकिन आपको पता नहीं है, वह दूसरा भी आपको केवल इसलिए करता है क्योंकि वह चाहता है कि आप उसे प्रेम करें। यह वैसे  ही है जैसे कि कोई मछलियों को मारने वाला आटा फेंकता है। आटा वह मछलियों के लिए नहीं फेंक रहा है। आटा वह मछलियों को फांसने के लिए फेंक रहा है। वह आटा मछलियों को दे नहीं रहा है, वह मछलियों को चाहता है, इसलिए आटा फेंक रहा है। इस दुनिया में जितने लोग प्रेम करते हुए दिखायी पड़ते हैं, वे केवल प्रेम पाना चाहने के लिए आटा फेंक रहे हैं। थोड़ी देर वे आटा खिलाएंगे, फिर...।

और दूसरा व्यक्ति भी जो उनमें उत्सुक होगा, वह इसलिए उत्सुक होगा कि शायद इस आदमी से प्रेम मिलेगा। वह भी थोड़ा प्रेम प्रदर्शित करेगा। थोड़ी देर बाद पता चलेगा, वे दोनों भिखमंगे हैं और भूल में थे; एक-दूसरे को सम्राट समझ रहे थे! और थोड़ी देर बाद उनको पता चलेगा कि कोई किसी को प्रेम नहीं दे रहा है और तब संघर्ष की शुरुआत हो जाएगी।"

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