जिम्मेदारी - ओशो

 जिम्मेदारी



तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। समाज बड़ा चालाक है। इसने हमारे सबसे सुंदर शब्दों को विकृत अर्थ देकर नष्ट कर दिया है। सामान्यतया तुम्हारे शब्दकोशों में 'जिम्मेदारी' का मतलब कर्तव्य होता है, चीजों को उस तरह से करना जिस तरह से तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारे शिक्षक, तुम्हारे पंडित, तुम्हारे राजनेता--किन्हीं दूसरों द्वारा अपेक्षा की जाती है।

 
तुम्हारे बड़े-बुजर्गों व तुम्हारे समाज द्वारा तुम्हारे ऊपर थोपी गई मांगों को पूरा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है। यदि तुम उस तरह से कार्य करते हो, तुम जिम्मेदार व्यक्ति हो; यदि तुम स्वयं के अनुसार कार्य करते हो--निजी ढंग से--तब तुम गैर जिम्मेदार व्यक्ति हो। तुम्हारा डर यह होता है कि सहजता से, अभी और यहीं कृत्य करने पर, खतरा है--हो सकता है कि तुम निजी तरीके से व्यवहार करने लगो। तब तुम्हारी जिम्मेदारी का क्या होगा? सच तो यह है कि 'रिस्पांसिबिलिटी' शब्द को दो शब्दों में बांटना होगा। इसका अर्थ होताहै 'रिस्पांस एबिलिटी।' और रिस्पांस तब ही संभव है जब तुम सहज, अभी और यहां हो। रिस्पांस का मतलब होता है कि तुम्हारा ध्यान, तुम्हारा होश, तुम्हारी चेतना, पूरी तरह से यहां और अभी है, वर्तमान में है। तो जो कुछ भी घटता है, तुम अपनी पूरी चेतना के साथ रिस्पांस करते हो। इसका किसी दूसरे, किसी पवित्र ग्रंथ, या किसी पवित्र मूर्ख के साथ ताल-मेल बैठाने से कुछ लेना-देना नहीं है। इसका सामान्य सा अर्थ यह है कि वर्तमान क्षण के साथ लयबद्ध होना। 

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