Dharm Sadhana Ke Sutra(Hindi):
साधना के जगत में सहज प्रवेश के अत्यंत सरल सूत्र देते हुए ओशो कहते हैं : ‘सुबह जब आखिरी तारे डूबते हों, तब हाथ जोड़ कर उन तारों के पास बैठ जाएं और उन तारों को डूबते हुए, मिस्ट्री में खोते हुए देखते रहें। और आपके भीतर भी कुछ डूबेगा, आपके भीतर भी कुछ गहरा होगा। सुबह के उगते हुए सूरज को देखते रहें। कुछ न करें, सिर्फ देखते रहें। उगने दें। उधर सूरज उगेगा, इधर भीतर भी कुछ उगेगा। खुले आकाश के नीचे लेट जाएं और घंटे दो घंटे सिर्फ आकाश को देखते रहें तो विस्तार का अनुभव होगा। कितना विराट है सब, आदमी कितना छोटा है! फूल को खिलते हुए देखें, चिटकते हुए, उसके पास बैठ जाएं, उसके रंग और उसकी सुगंध को फैलते देखें। एक पक्षी के गीत के पास कभी रुक जाएं, कभी किसी वृक्ष को गले लगा कर उसके पास बैठ जाएं। और आदमी के बनाए मंदिर-मस्जिद जहां नहीं पहुंचा सकेंगे, वहां परमात्मा का बनाया हुआ रेत का कण भी पहुंचा सकता है।’
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