Osho Hindi Audio Discourses : Dhyan Ka Vigyan

Dhyan Ka Vigyan 

"जो लोग शरीर के तल पर ज्यादा संवेदनशील हैं, उनके लिए ऐसी विधियां हैं जो शरीर के माध्यम से ही आत्यंतिक अनुभव पर पहुंचा सकती हैं। जो भाव-प्रवण हैं, भावुक प्रकृति के हैं, वे भक्ति-प्रार्थना के मार्ग पर चल सकते हैं। जो बुद्धि-प्रवण हैं, बुद्धिजीवी हैं, उनके लिए ध्यान, सजगता, साक्षीभाव उपयोगी हो सकते हैं।

लेकिन मेरी ध्यान की विधियां एक प्रकार से अलग हट कर हैं। मैंने ऐसी ध्यान-विधियों की संरचना की है जो तीनों प्रकार के लोगों द्वारा उपयोग में लाई जा सकती हैं। उनमें शरीर का भी पूरा उपयोग है, भाव का भी पूरा उपयोग है और होश का भी पूरा उपयोग है।

तीनों का एक साथ उपयोग है और वे अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग ढंग से काम करती हैं। शरीर, हृदय, मन—मेरी सभी ध्यान विधियां इसी शृंखला में काम करती हैं। वे शरीर पर शुरू होती हैं, वे हृदय से गुजरती हैं, वे मन पर पहुंचती हैं और फिर वे मनातीत में अतिक्रमण कर जाती हैं।"—ओशो
Osho Hindi Audio Discourses : Dhyan Ka Vigyan ध्यान का विज्ञान




























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