Osho Hindi Books Series : S

Osho Hindi Books 
Series : S


  • Samadhi Ke Saptdwar :


किसी सोच-विचार से, किसी कल्पना से, मन के किसी खेल से इसका जन्म नहीं हुआ; बल्कि जन्म ही इस तरह की वाणी का तब होता है,जब मन पूरी तरह शांत हो गया हो। और मन के शांत होने का एक ही अर्थ होता है कि मन जब होता ही नहीं। क्योंकि मन जब भी होता है, अशांत ही होता है।
जहां मन खो जाता है वहां आकाश के रहस्य प्रकट होने शुरू हो जाते हैं।
ब्लावट्स्की की यह पुस्तक ऐसी ही है।हवा का एक झोंका है ब्लावट्स्की।और कोई उससे बहुत महानतर शक्ति उस पर आविष्ट हो गयी है, और वह हवा का झोंका इस सुगंध को ले आया है। इस पुस्तक के एक-एक सूत्र को समझपूर्वक अगर प्रयोग किया, तो जीवन से वासना ऐसे झड़ जाती है, जैसे कोई धूल से भरा हुआ आये और स्नान कर ले तो सारी धूल झड़ जाए। या कोई थका-मांदा, किसी वृक्ष की छाया के नीचे विश्राम कर ले और सारी थकान विसर्जित हो जाए।" ओशो 


  • Samadhi Ke Kshan :

जैसे अंधेरे में कोई अचानक दीये को जला देऔर जहां कुछ भी दिखाई न पड़ता हो वहां सभी कुछ दिखाई पड़ने लगेऐसे ही जीवन के अंधकार में समाधि का दीया है। या जैसे कोई मरुस्थल में वर्षों से वर्षा न हुई हो और धरती के प्राण पानी के लिए प्यास से तड़पते होंऔर फिर अचानक मेघ घिर जाएं और वर्षा की बूंदें पड़ने लगेंतो जैसा उस मरुस्थल के मन में शांति और आनंद नाच उठे,ऐसा ही जीवन के मरुस्थल में समाधि की वर्षा है। या जैसे कोई मरा हुआ अचानक जीवित हो जाएऔर जहां श्वास न चलती हो वहां श्वास चलने लगेऔर जहां आंखें न खुलती हों वहां आंखें खुल जाएंऔर जहां जीवन तिरोहित हो गया था वहां वापस उसके पदचाप सुनाई पड़ने लगेंऐसा ही मरे हुए जीवन में समाधि का आगमन है।
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  • Santo Magan :



ओशो द्वारा दिए गए विविध प्रश्नों के उत्तर इन अमृत प्रवचनों में संकलित हैं। चाहे व‍ह बोध हो चाहे प्रेम, ध्यान या जीवन के विविध आयाम, ओशो की वाणी हर तल पर झकझोर देती है। इस अर्थ में यह संकलन विशेष महत्वपूर्ण है|
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  • Satya Ki Pahli Kiran :




इस पुस्‍तक में ओशो ने करुणा और क्रांति के मौलिक संबंध को दर्शाया है।



वे कहते हैं, “अगर करुणा आ जाए तो क्रांति अनिवार्य है। क्रांति सिर्फ करुणा की परिधि, छाया से ज्‍यादा नहीं है।। और जो क्रांति करुणा के बिना आयेगी, बहुत खतरनाक होगी। ऐसी बहुत-सी क्रांतियां हो चुकी हैं और वे जिस बीमारियों को दूर करती है, उनसे बड़ी बीमारियों को अपने पीछे छोड़ जाती है।” 

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  • Shunya Ka Darshan :


ओशो कहते है, मैं धर्म नहीं, धार्मिकता सिखाता हूं। धार्मिकता का कोई पंथ या कोई शास्त्र नहीं हो सकता। यह वह गुणवत्ता है जो हर वस्तु में जन्मजात होती है। जैसे फूल में सुगंध, अग्नि में उष्णता या पानी में शीतलता, वैसे धार्मिकता मनुष्य का आतंरिक स्वभाव है।vमै तो यहां मनुष्य को बदलने का नया विज्ञान दे रहा हूं कि वह स्वयं से प्रेम करना सीखें। स्वयं से इतना प्रेम करो कि कोई भी उपद्रवी तुम्हे किसी तरह की आत्महत्या के लिए राज़ी न कर पाये।सत्य यह है कि मनुष्य के भीतर एक विराट आकाश छिपा है। जो अपने भीतर उतर जाए वह जगत के रहस्यों के द्वार पर खड़ा हो जाता है। उसके लिए मंदिर के द्वार खुल जाते है।जो अपने भीतर की सीढियां उतरने लगता है वह जीवन के मंदिर की सीढ़िया उतरने लगता है। जो अपने भीतर जितना गहरा जाता है उतना ही परमात्मा का अपूर्व अद्वितीय रूप, सौंदर्य, सुगंध संगीत सब बरस उठता है।
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  • Shunya Samadhi :
ओशो image


आज सारी मनुष्यता बीमार है। प्रकृति के चारों तरफ दीवालें उठा दी गई हैं और आदमी उनके भीतर बैठ गया है। और यह आदमियत स्वस्थ नहीं हो सकेगी जब तक कि चारों तरफ उठी हुईं दीवालों को हम गिरा कर प्रकृति से वापस संबंध न बांध सकें।
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