Sadguru Malukdas

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     🌻☀ सद्गुरु  मलूकदास☀🌻
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सद्गुरु की तलाश परमात्मा की तलाश में अनिवार्य चरण हैं। उसके बिना कोई परमात्मा तक नहीं पहुँचता।उस पार जाना है, तो नाव चाहिए।नाव की बातें करनेवालों से मत उलझे रहना। बहुत हैं जो नाव की बातों में ही लगे हैं कि नाव ऐसी होनी चाहिए,कि नाव वैसी होनी चाहिए,कि नाव ऐसी होती हैं, कि पहले ज़माने में नाव ऐसी होती थी,कि अब कहां नाव,वह तो सतयुग में हुआ करती थी! जो शास्त्रों की ही बातें कर रहे हैं वे नाव की बातें कर रहे हैं । नाव शब्द में चढ़कर तुम पार नहीं उतर सकतें, बुरी तरह डूबोगे । सद्गुरु चाहिए !
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सद्गुरु कौन हैं...!!! जिसके वचन प्राप्त हैं.. जो अपने प्रमाण से बोलता हैं... जो कहता हैं : मैंने जाना हैं, वह कह रहा हूं। और जिसके पास बैठकर तुम्हें अनुभव होने लगे,जिसकी तरंग तुम्हें छूने लगे,तुम्हारी वीणा के तार झनझनाने लगे और तुम्हें लगने लगे कि तुम जो सुन रहे हो। वह सिर्फ खोपड़ी से निकली हुई बात नहीं हैं, हृदय से उठी हुई उमंग हैं, सुगंध हैं। फिर उस द्वार से मत हटना।

जो जोगिया नहिं मिलि है हो
तो तुरंत निकासूं जीव

मलूकदास कहते हैं : अगर नहीं मिला सद्गुरु, तो मैं अपने जीवन को खो देने को तैयार हूं ! सब दांव पर लगा दूंगा मगर सद्गुरु को पाकर रहूँगा ..!!
गुरूजी अहेरी मैं हिरनी...
कहते हैं कि हे सद्गुरु, मैं तो एक हिरन की भांति हूं, आप हैं अहेरी, शिकारी..!!
.... गुरु मारैं प्रेम का बान चढ़ाओ 
अपने धनुष परप्रेम का बाण..
छेद दो मेरे प्राण..!!

जेहि लागै सोई जानई हो
और दरद नहिं जान

और यह प्रेम की पीड़ा हैं.. उसको ही पता चलती हैं जिसको यह प्रेम का बाण लगता हैं। इसलिए तुमको अगर सद्गुरु मिल गया और तुम्हारें प्राण अगर उसके प्रेम के बाण से अगर छिद गए, तो तुम किसी को समझा नहीं सकोगे; तुम किसी को बता नहीं सकोगे;तुम किसीको प्रमाण न दे सकोगे।लोग तुम्हें पागल कहेंगे,दिवाना कहेंगे। लोग कहेंगे : तुमने गवाया अपना होश।ठीक-ठीक थे,तुम्हें क्या हो गया? लेकिन तुम कोशिश भी मत करना औरों को समझाने की। वह कोशिश कभी सफल नहीं होती। हां.. तुम्हारें धुन से कोई रंग जाएं, कोई खोजी तुम्हारें आनंद को देखकर डोलने लगे, तो जरूर उससे अपने हृदय की बात कह देना.क्योंकि वही समझ सकता हैं.... जो थोड़ा सा प्रेम की पीड़ा को अनुभव किया हो।जिसने स्वाद लिया हो मिठास का,उससे मिठास की बात करोगे तो समझ सकता हैं। जो सदा से जहर पीता रहा हो ,उसे अमृत की बातें मत करना।


                🙏 ओशो 🙏

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