Agyat Ki Aur (Hindi ):
“मैं अत्यंत आनंदित हूं अपने हृदय की थोड़ी सी बात आपसे कर पाऊंगा इसलिए। आनंद जितना बंट जाए, उतना बढ़ जाता है। जो मुझे दिखाई पड़ता है जीवन जैसा सुंदर, जैसा संगीत से पूर्ण, जैसा आह्लादकारी, जैसी धन्यता मुझे उसमें दिखाई पड़ती है, हृदय में कामना उठती है आपको भी जीवन वैसा दिखाई पड़े। और स्मरण रहे, जीवन वैसा ही हो जाता है जैसी देखने की हमारे पास दृष्टि होती है। वही जीवन नरक हो सकता है, वही स्वर्ग भी; वही बंधन हो सकता है और वही मुक्ति भी। लेकिन इधर कई हजार वर्षों से जीवन को बदलने की नहीं बल्कि जीवन से भागने की शिक्षा दी गई।समझाया गया है कि जीवन को छोड़ दो, और समझाया गया है कि जीवन से ही जो मुक्त हो जाए वही परम धन्य है।“
0 Comments