Osho Hindi Audio Discourses : Shivsutra


Shivsutra (Hindi):
अपनी तरफ देखो—न तो पीछे, न आगे। कोई तुम्हारा नहीं है। कोई बेटा तुम्हें नहीं भर सकेगा। कोई संबंध तुम्हारी आत्मा नहीं बन सकता। तुम्हारे अतिरिक्त तुम्हारा कोई मित्र नहीं है। जैसे कि आग को तुम उकसाते हो—राख जम जाती है, तुम उकसा देते हो; राख झड़ जाती है, अंगारे झलकने लगते हैं। ऐसी तुम्हें कोई प्रक्रिया चाहिए, जिससे राख तुम्हारी झड़े और अंगारा चमके; क्योंकि उसी चमक में तुम पहचानोगे कि तुम चैतन्य हो। और जितने तुम चैतन्य हो, उतने ही तुम आत्मवान हो।

तुम्हारी महत यात्रा में, जीवन की खोज में, सत्य के मंदिर तक पहुंचने में—ध्यान बीज है। ध्यान क्या है?—जिसका इतना मूल्य है; जो कि खिल जाएगा तो तुम परमात्मा हो जाओगे; जो सड़ जाएगा तो तुम नारकीय जीवन व्यतीत करोगे। ध्यान क्या है? ध्यान है निर्विचार चैतन्य की अवस्था, जहां होश तो पूरा हो और विचार बिलकुल न हों।
Osho


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