शिक्षा में क्रांति - ओशो
'शिक्षा में क्रांति' कालजयी चिंतक के विचारवान रचना-संसार का वह आइना है, जिसमें देखने पर पाठक की दृष्टि नहीं, दृष्टिकोण ही बदल जाता है । दृष्टि तो मात्र प्रकाश परिवर्तन है । यह दृष्टिकोण ही है जो हमारी सोच के आयामों को तराशता, निखारता है ।
शिक्षा सिद्धांत नहीं है । शिक्षा अतीत का विधान भी नहीं है । शिक्षा सिर्फ प्रार्थनाए नहीं है । शिक्षा के नाम पर जो शब्द पाठ्यक्रम की पगडंडियो पर चल रहे हैं, वह खुद सडक बन रहे हैं । शिक्षा तो अनुभूत सत्य से साक्षात्कार करने की अनवरत ललक है, आगत से बतियाने की निष्ठावान चेष्टा है ।
१. नये मनुष्य की जन्म की दिशा
२. धर्म और विज्ञान
३. शिक्षा और धर्म
४. शिक्षक, समाज और क्रान्ति
५. प्रेम, विवाह और बच्चे
६. युक्रांद क्या है?
७. नारी और क्रान्ति
८. अज्ञान के नये आयाम
९. प्रेम केंद्रित शिक्षा
१०. विषबुजी महत्वाकांक्षा
११. शांति का बीजमंत्र
१२. विद्रोह की आग
१३. संदेह की ज्योति
१४. साध्य और साधन
१५. अखंड जीवन का सूत्र
१६. महत्वाकांक्षी रहित अतुलनिय प्रेम
१७. निराग्रही, अन्वेषण चित की खोज
१८. जीवन विरोधों में लयबद्धता का बिंदु
१९. मनुष्यता के आमूल रूपांतरण की प्रक्रिया
२. धर्म और विज्ञान
३. शिक्षा और धर्म
४. शिक्षक, समाज और क्रान्ति
५. प्रेम, विवाह और बच्चे
६. युक्रांद क्या है?
७. नारी और क्रान्ति
८. अज्ञान के नये आयाम
९. प्रेम केंद्रित शिक्षा
१०. विषबुजी महत्वाकांक्षा
११. शांति का बीजमंत्र
१२. विद्रोह की आग
१३. संदेह की ज्योति
१४. साध्य और साधन
१५. अखंड जीवन का सूत्र
१६. महत्वाकांक्षी रहित अतुलनिय प्रेम
१७. निराग्रही, अन्वेषण चित की खोज
१८. जीवन विरोधों में लयबद्धता का बिंदु
१९. मनुष्यता के आमूल रूपांतरण की प्रक्रिया
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