Dhan - Osho


दो आदमी भीड़-भाड़ वाले बाजार में फुटपाथ पर साथ-साथ चल रहे थे। अचानक एक ने कहा, "सुनो झींगुर की मधुर आवाज" लेकिन दूसरे ने नहीं सुना। उसने अपने साथी से पूछा इतने लोग और ट्रेफिक के बीच उसे झींगुर की आवाज का कैसे पता चला। पहले व्यक्ति ने खुद को प्रकृति की आवाज सुनने में प्रशिक्षित किया था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
इसके बजाय उसने अपने जेब से एक सिक्का निकाला और फुटपाथ पर गिरा दिया। अचानक एक दर्जन से अधिक लोग उन्हें टकटकी लगा के देख रहे थे।
"हमें वही सुनाई पड़ता है", वह बोला, "जो हम सुनना चाहते हैं"।
यहां ऐसे लोग हैं जो जमीन पर गिरे सिक्के की आवाज ही सुन सकते हैं--यही उनका एक मात्र संगीत है। बेचारे लोग, वे सोचते हैं कि वे धनी हैं, लेकिन वे गरीब लोग हैं, जिनका सारा संगीत सिक्के के जमीन पर गिरने की आवाज मात्र है। बहुत गरीब लोग...भूखे। उन्हें नहीं पता कि जीवन में कितना कुछ होता है। उन्हें अनंत संभावनाओं के बारे में कुछ पता नहीं, उन्हें नहीं पता कि वे अनंत धुनों से घिरे हुए हैं--बहु आयामी समृद्धियां। तुम वही सुनते हो जो सुनना चाहते हो।

Post a Comment

0 Comments