लोकतंत्र की परिभाषा - ओशो
लोकतंत्र की परिभाषा की जाती है कि लोगों की, लोगों के द्वारा, लोगों के लिए सरकार, लोकतंत्र है। इसमें से कोई भी बात सच नहीं है। न तो यह लोगों के द्वारा है, न ही लोगों की है, न ही लोगों के लिए है।
सदियों से जो लोग सत्ता में रहते हैं वे हमेशा लोगों को बहलाते रहते हैं कि जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके हित के लिए किया जा रहा है। और लोग इस बात का भरोसा करते हैं क्योंकि उन्हें भरोसा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
मानवता के शोषण के लिए यह धर्म और सत्ता के बीच की सांठ-गांठ है।
धर्म विश्वास का पाठ सिखाए चले जाते हैं और लोगों की बुद्धिमत्ता को, उनके प्रश्न पैदा करने की क्षमता को नष्ट किए चले जाते हैं, उन्हें अपाहिज बना दिया जाता है। और सत्ता हर संभव आयाम से उनका शोषण किए चली जाती है--और तब भी लोग उनको सहारा देते हैं, क्योंकि लोगों को विश्वास करना सिखाया गया है, प्रश्न करना नहीं सिखाया गया। किसी भी तरह की सरकार--वह भले ही राजशाही हो, वह उच्चवर्ग की हो, वह लोकतंत्र हो, वह किसी भी तरह की सरकार हो...सिर्फ नाम बदलते हैं पर गहरे में असलियत वही बनी रहती है।
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