ओशो मंडल ध्यान ओशो के निर्देशन में तैयार किए गए संगीत के साथ किया जाता है। यह संगीत ऊर्जागत रूप से ध्यान में सहयोगी होता है और ध्यान विधि के हर चरण की शुरुआत को इंगित करता है। इस संगीत की सीडीज़ व डाउनलोड करने की सुविधा के विषय में जानकारी के लिए अपेंडिक्स देखें।
निर्देश: यह एक अन्य शक्तिशाली, रेचक विधि है जो ऊर्जा का एक वर्तुल निर्मित कर देती है जिससे स्वाभाविक रूप से ही केंद्रस्थता घट जाती है। इसमें पंद्रह-पंद्रह मिनट के चार चरण हैं।
- पहला चरण: पंद्रह मिनट
आंखें खुली रख कर एक ही स्थान पर खड़े-खड़े दौड़ें। धीरे-धीरे शुरू करके तीव्र से तीव्र होते जाएं। जहां तक बन सके घुटनों को ऊपर उठाएं। श्वास को गहरा और सम रखने से ऊर्जा भीतर घूमने लगेगी। मन को भूल जाएं और शरीर को भूल जाएं। दौड़ते रहें।
- दूसरा चरण: पंद्रह मिनट
आंखें बंद कर बैठ जाएं। मुंह को शिथिल और खुला रखें। कमर से ऊपर के शरीर को धीरे-धीरे चक्राकार घुमाएं--जैसे हवा में पेड़-पौधे झूमते हैं। अनुभव करें कि हवा आपको इधर-उधर, आगे-पीछे और चारोें ओर घुमा रही है। इससे भीतर जागी ऊर्जा नाभि-केंद्र पर आ जायेगी।
- तीसरा चरण: पंद्रह मिनट
अब आंखें खोलकर, सिर को स्थिर रखते हुए पीठ के बल लेट जाएं, और दोनों आंखों की पुतलियों को बाएं से दाएं घड़ी के कांटे की तरह वृत्ताकार घुमाएं। आंखों को इस तरह घुमाएं, जैसे कि वे एक बड़ी घड़ी की सुई का अनुसरण कर रही हों, परंतु गति को जितना हो सके तेज रखें। यह महत्वपूर्ण है। मुंह खुला रहे और जबड़े शिथिल रहें। श्वास कोमल एवं सम बनी रहे। इससे तुम्हारी केंद्रित ऊर्जा तीसरी आंख पर आ जाएगी।
- चौथा चरण: पंद्रह मिनट
आंखें बंद कर निष्क्रिय हो रहें।
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