- Aankhon Dekhi Sanch
एक ज्ञान बाहर है, एक प्रकाश बाहर है। अगर आपको गणित सीखनी है, केमिस्ट्री सीखनी है, फिजिक्स सीखनी है, इंजीनियरिंग सीखनी है, तो आप किसी स्कूल में भरती होंगे, किताब पढ़ेंगे, परीक्षाएं होंगी और सीख लेंगे। यह लर्निंग है; नॉलेज नहीं। यह सीखना है; ज्ञान नहीं। विज्ञान सीखा जाता है, विज्ञान का कोई ज्ञान नहीं होता। लेकिन धर्म सीखा नहीं जाता, उसका ज्ञान होता है। उसकी लर्निंग नहीं होती, उसकी नॉलेज होती है। एक प्रकाश बाहर है, जिसे सीखना होता है; एक प्रकाश भीतर है, जिसे उघाड़ना होता है, जिसे डिस्कवर करना होता है। ओशो
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- Aghyat Ki aur
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- Aajhoon Chet
एक ही अज्ञान है कि हमें पता नहीं कि हम कौन हैं। फिर सारे अज्ञान उसी एक अज्ञान से पैदा होते हैं। एक ही बीज है; फिर तो वृक्ष बड़ा हो जाता है; फिर तो बहुत शाखाएं-प्रशाखाएं होती हैं; बहुत फूल-पत्ते लगते, फल लगते। और फिर एक बीज में बहुत बीज भी लगते हैं। वनस्पतिशास्त्री कहते हैं: एक छोटा-सा बीज सारी पृथ्वी को हरियाली से भर देने में समर्थ है। और एक छोटे-से अज्ञान के बीज ने मनुष्य को परिपूर्ण अंधकार से भर दिया है।
बीज है छोटाः यह बोध नहीं है कि मैं कौन हूं। और जिसे यही बोध नहीं है कि मैं कौन हूं, फिर वह जो भी करेगा गलत ही करेगा। जहां भीतर का दीया ही न जला हो, फिर तुम्हारे कृत्य के ठीक होने की कोई संभावना नहीं। और हम सब चेष्टा करते हैं कि कृत्य ठीक हो जाए। यह ऐसे ही है जैसे कोई अंधेरे में दीया तो नजलाए और ठीक-ठीक चलने का अभ्यास करे, ताकि अंधेरे में मैं बिना गिरे चल सकूं, बिना टकराए चल सकूं,दीवालों से सिर न फूटे, जब चाहिए तब दरवाजा मिल जाए।.....
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- Ami Jharat Bigsat Kanwal
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- Amrit Dwar
- Amrit Ki Disha
इस पुस्तक में ओशो हमें एक दिशा देते हैं—साहस की दिशा। साहस—उधार के विश्वासों से मुक्त होने का। साहस—तथ्यों को आर-पार देखने का। साहस—आत्म-जागरण के मार्ग पर चलने का। साहस—आनंदित होने का।...
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- Anant Ki Pukar
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- Antar Ki Khoj
- Ari Main To Ram...
ओशो की अस्तित्वगत् झलक की तीव्र अनुभूति भी इस संकलन से मिलेगी। निराकार अस्तित्व की साकार प्रतिमा दर्शन की अनुभूति भी आपको होगी। जो सहज ही आपको द्रष्टा भाव, साक्षी भाव और यथार्थता में उतार देगी।
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- Athato Bhakti Jigyasa Vol 1
- शांडिल्य ने बड़ा स्वाभाविक सहज-योग प्रस्तावित किया हैं। ओशो कहते हैं जो सहज है, वही सत्य है जो असहज हो, उससे सावधान रहना। असहज में उलझे, तो जटिलताएं पैदा कर लोगे। सहज से चले तो बिना अड़चन के पहुंच जाओगे
- इन अपूर्व सूत्रो पर खूब ध्यान करना। इनके रस में डूबना। एक-एक सूत्र ऐसा बहुमूल्य है कि तुम पूरे जीवन से भी चुकाना चाहो तो उसकी कीमत नहीं चुकाई जा सकती। ओशो ओशो द्वारा ॠषिवर शांडिल्य के भक्ति-सूत्रों पर दिए गए प्रवचनों को दो भाग में ‘अथातो भक्ति जिज्ञासा’ शीर्षक से डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में चालीस अमृतत प्रवचनों में से प्रथम प्रवचनों का संकलन है।
- Athato Bhakti Jigyasa Vol 2
- Atma Puja Vol 1
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