Prem Jivan Ko Badhata Hai . Osho

प्रेम जीवन को बढ़ाता है। : ओशो
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दुनिया की बहुत सी प्रयोगशालाओं में निर्णीत निष्कर्ष ले लिए गए हैं कि प्रेम जीवन को बढ़ाता है। जिस गुलाब को तुमने प्रेम किया, उसके फूल बड़े होंगे। होने ही चाहिए। क्योंकि तुमने उसे गरिमा दी। पौधे के प्राण पुलकित हैं। वह तुम्हें प्रसन्न करना चाहता है; तुमने उसे प्रसन्न किया। तुमने उसे दिया; वह तुम्हें लौटाना चाहता है। वह एक बड़े फूल की तरह--और क्या कर सकता है?--एक बड़े फूल की तरह खिलेगा। सदगुरुओं के प्रेम के नीचे शिष्य परमात्मा को उपलब्ध हो गए हैं। बिना कुछ किए भी कभी यह घटा है। और कभी-कभी बहुत कुछ करने पर भी, अगर सदगुरु की प्रेम-छाया न हो, तो कुछ भी नहीं घटा है। इसलिए तो समर्पण का इतना मूल्य है। समर्पण का कुल इतना ही अर्थ है कि गुरु के जीवन से जो प्रेम की धारा बह रही है, उसके लिए तुम दीवाल मत बनो, दरवाजा बन जाओ। उसे आने दो, ताकि वह तुम्हें रूपांतरित कर दे। प्रेम जीवन है। प्रेम से रहित जीवन का कोई अर्थ नहीं है। और प्रेम से भरी हुई मृत्यु भी सार्थक हो जाती है। प्रेम से भरी मृत्यु में भी एक काव्य प्रकट होता है--अलौकिक।
सबै सयाने एक मत (दादू), प्रवचन 8

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