Osho Hindi Audio Discourses : Mahavir Vani - 21 To 40


Mahavir Vani - 21 To 40 (Hindi):

आपका हृदय क्या चाहता है ? आपके प्राणों की प्यास क्या है ? आपके श्वासों की तलाश क्या है ? क्या कभी आपने अपने आपसे ये प्रश्न पूछे हैं ? यदि नहीं, तो मुझे पूछने दें। यदि आप मुझसे पूछें तो मैं कहूंगा, उसे पाना चाहता हूं जिसे पाकर फिर कुछ और पाने को नहीं रह जाता। क्या मेरा ही उत्तर आपकी अंतरात्माओं में भी नहीं उठता है ? 

यह मैं आपसे ही नहीं पूछ रहा हूं, और भी हजारों लोगों से पूछता हूं। और पाता हूं कि सभी मानव-हृदय समान हैं और उनकी आत्यंतिक चाह भी समान ही है। 
आत्मा आनंद चाहती है–पूर्ण आनंद–क्योंकि तभी सभी चाहों का विश्राम आ सकता है। जहां चाह है, वहां दुख है; क्योंकि वहां अभाव है। आत्मा सब अभावों का अभाव चाहती है। अभाव का पूर्ण अभाव ही आनंद है, और वही स्वतंत्रता भी है, मुक्ति भी। क्योंकि जहां कोई भी अभाव है, वहीं बंधन है, सीमा है और परतंत्रता है। अभाव जहां नहीं है, वहीं परम मुक्ति में प्रवेश है। 
Image



Post a Comment

0 Comments