Osho Hindi Books :
Series : U - V - Z
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“तुम जितने लोगो से प्यार करना चाहते हो आप कर सकते हो – इसका मतलब यह नहीं है की एक दिन आप दिवालिया हो ...
- Varanasi..:
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जीवन को सम्मान दो, सत्कार करो। जीवन उसकी भेंट है और तुम पात्र न थे तो भी तुम्हें मिली है। तुम अपात्र हो, फिर भी वह तुम पर बरसा है-झत दसहुं दिस मोती- उसके मोती बरसे ही जाते हैं। तुमने नहीं मांगा, वह तुम्हें मिला है। तुम जो नही जानते, वह भी तुम्हें मिला है। जिसे पहचानने में तुम्हें सदियां लग जाएंगी, वह भी तुम्हें मिला है। ऐसा खजाना, जो अकूत है। और ऐसी गहराई, जो अथाह है। और ऐसा जीवन जो अज्ञेय है। रहस्यों को रहस्य तुम्हारे हृदय में समाया हुआ है।
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