Prem Panth Aiso Kathin (Hindi):
प्रेम का मार्ग कैसे बन सकता है?प्रेम का मार्ग बनाने का एक ही अर्थ होता है कि प्रेम के नैसर्गिक प्रवाह में जो पत्थर डाल दिए गए हैं, वे हटा दो। प्रेम का मार्ग नहीं बनाना होता, सिर्फ बाधाएं हटानी होती हैं। जैसे कि दर्पण है, धूल जमी है। दर्पण नहीं बनाना है, सिर्फ धूल हटा देनी है। दर्पण तो है ही। जैसे पानी का झरना फूटने को तैयार है, मगर एक चट्टान पड़ी है। और झरना नहीं फूट पाता और चट्टान को नहीं तोड़ पाता। चट्टान हटा दो। झरना कहीं से लाना नहीं है, चट्टान के हटते ही झरना बह पड़ेगा। तो मार्ग बनाने का अर्थ विधायक नहीं है, नकारात्मक है। सिर्फ मार्ग की बाधाएं हटा दो। बाधाओं के हटते ही प्रेम सध जाता है।
प्रेम साधा कैसे जा सकता है? प्रेम साधा नहीं जाता, सिर्फ बाधा हटा दो, फिर प्रेम सध जाता है। सिर्फ बीच-बीच में जो चीजें अटकाव डाल रही हैं, उनको दूर कर दो। जैसे सुबह तुम उठे हो, द्वार-दरवाजे बंद हैं, परदे पड़े हैं, सूरज ऊगा है; लेकिन न तो तुम्हें सूरज का ऊगना दिखाई पड़ रहा है-तुम्हारे कमरे में अंधकार है-न पक्षियों के गीत सुनाई पड़ रहे हैं। जरा परदे खोलो, जरा खिड़कियां खोलो, जरा द्वार खोलो-और आ जाएंगी सूरज की किरणें नाचती हुई भीतर, और पक्षियों के गीत फुदकते हुए तुम्हारे भीतर आ जाएंगे। मार्ग नहीं बनाना पड़ा, मार्ग तो था ही और द्वार पर मेहमान आकर खड़ा था, सिर्फ मार्ग की बाधा हटा देनी पड़ी। बाधा हट जाए कि बस प्रेम सध गया।
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