प्रेम कोई सिद्धांत नहीं - ओशो
पहली बात तो यह है कि प्रेम केवल प्रेम करने से ही जाना जा सकता है। यह कोई ऐसी चीज नहीं है कि उसके बारे में की गई बौद्धिक चर्चा से उसे समझा जा सके।
प्रेम कोई सिद्धांत नहीं है। यदि तुम उससे कोई सिद्धांत बनाने की कोशिश करो,तो वह बेबूझ हो जाएगा। यह बाउल गीत का पहला दृष्टि बिंदु है,वहां ऐसी चीजें हैं, जिसे तुम केवल करने के बाद या वैसा होने के बाद ही जान सकते हो।
यदि तुम तैरना नहीं जानते,तो यह भी नहीं जानते कि वह है क्या, और उसके बारे में जानने का फिर कोई उपाय है ही नहीं। तुम बाहर जाकर एक हजार एक तैराकों से उसके बारे में चर्चा सुन सकते हो, लेकिन फिर भी वह है क्या, तुम इसे कभी जान न सकोगे। यह किसी भी तरह से समझ में न आने वाली बात है,तुम्हें उसे समझने के लिए तैरना सीखना ही होगा।
तुम्हे नीचे नदी में जाना होगा,तुम्हें जोखिम उठानी होगी, डूबने का खतरा उठाना होगा। यदि तुम बहुत—बहुत चालाक हो, तो तुम कह सकते हो—"मैं नदी में तब तक कदम न रखूंगा,जब तक तैरना न सीख लूं।’’
बात है तो तर्कपूर्ण, मैं नदी में कदम कैसे रखूं जब तक मैं तैरना न सीख लूं? इसलिए पहले मुझे तैरना सीखना चाहिए केवल तभी मैं नदी में कदम रख सकता हूं।
लेकिन तब तुम तैरने के बारे में कुछ भी जानने में समर्थ न हो सकोगे, क्योंकि तैरना सीखने के लिए तो तुम्हें नदी में कदम रखना ही होगा। तैरना केवल तैरने के द्वारा ही जाना जा सकता है,
प्रेम केवल प्रेम करने से जाना जा सकता है,प्रार्थना केवल प्रार्थना करने के द्वारा ही जानी जाती है, इसके अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग है भी नहीं।
यहां ऐसी भी चीजें हैं, जिन्हें बिना उनमें गतिशील हुए भी जाना जा सकता है, लेकिन वे व्यर्थ की तुच्छ वस्तुएं हैं यह बौद्धिक चीजें हैं, दर्शनशास्त्र,अंधविश्वास अथवा किसी पंथ या धर्म का अनुयायी बनना।
लेकिन जो कुछ वास्तविक या सच्चा है उसे जीया जाता है और जो कुछ भी आस्तित्वगत होता है उसमें प्रवेश करना होता है और जोखिम उठानी होती है।
इसके लिए उस व्यक्ति को साहसी और निडर होना होगा और यह सबसे बड़ा साहस का काम है, क्योंकि जब तुम किसी से प्रेम करते हो, तुम स्वयं को खोना शुरू कर देते हो।
किसी को प्रेम करना अपने अहंकार को मिटाना है, किसी को प्रेम करना स्वयं का खो जाना है,किसी को प्रेम करने का अर्थ होता है कि तुम उसे अपने ऊपर सत्ता सौंप रहे हो और प्रेम करने का अर्थ होता है किसी के अधिकार में रहना और समर्पित होना।
ज्ञान का रहस्य है—विनम्रता।
प्रेम योग–(दि बिलिव्ड-1)–(प्रवचन–01)
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