प्रेम स्वयं में पोषण है। ~ ओशो

 


"तुम पूछते होः 'क्या आप बता सकते हैं कि प्रेम से पोषण पाने की कला में कैसे निपुण हुआ जाए?' इसमें कोई कला नहीं है, क्योंकि इसमें किसी प्रयास की आवश्यकता नहीं है। प्रेम ही पोषण है। परन्तु मानवता अपने नेताओं द्वारा इतनी भ्रमित रह चुकी है कि किसी को अपने स्वयं के भीतरतम के तलों का कुछ भी पता नहीं है। प्रेम स्वयं में पोषण है। जितना प्रेम तुम करोगे, उतना ही तुम अपने भीतर ऐसे स्थान पाओगे जो अनछुए हैं जहां प्रेम एक आभा कि भांति तुम्हारे आस-पास फैलता जाता है।

"लेकिन कोई भी संस्कृति उस तरह के प्रेम को अनुमति नहीं देती। उन्होंने प्रेम को एक तंग सुरंग में धकेल दिया है: तुम अपनी पत्नी को प्रेम कर सकते हो, तुम्हारी पत्नी तुम्हें प्रेम कर सकती है; तुम अपने बच्चों से प्रेम कर सकते हो, तुम अपने माता पिता से प्रेम कर सकते हो, तुम अपने मित्रों से प्रेम कर सकते हो. और उन्होंने हर मनुष्य के भीतर दो बातें बहुत गहरे जड़ कर दीं हैं। एक यह कि प्रेम कुछ ऐसा है जो कि एक सीमित दायरे में ही किया जा सकता है--मित्रों से, परिवारजन से, बच्चों से पति से, पत्नी से। और दूसरी बात जिस पर उन्होंने जोर दिया है वह यह कि प्रेम बहुत प्रकार के होते हैं।

"जब तुम अपने पति या पत्नी से प्रेम करते हो तब वह एक प्रकार का प्रेम होता है; फिर जब तुम अपने बच्चों से प्रेम करते हो तब तुम्हें अलग तरह का प्रेम करना होता है और अपने बड़ों को, अपने परिवारजन को अपने शिक्षकों को अलग तरह का। और फिर मित्रों के लिए अलग तरह का प्रेम। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रेम को मनुष्यता के पूरे इतिहास में जिस तरह से नाम दिए गए हैं, वैसे नाम दिए नहीं जा सकते। उनके लिए उसे नाम देने के कारण थे परन्तु वे कारण बदसूरत और अमानवीय हैं, क्योंकि इस तरह उसे नाम देने में उन्होंने प्रेम की हत्या कर दी...

"सभी परम्पराओं ने यह जो प्रेम को अलग अलग नामों में बांट देने पर जोर दिया है इसके पीछे कारण यह है कि वे प्रेम से बहुत डरते रहे, क्योंकि यदि प्रेम आस्तित्व्गत हो तब वह कोई सीमा नहीं जानता--तब तुम हिन्दुओं को मुसलमानों के विरुद्ध नहीं ले जा सकते, तब तुम प्रोटेस्टेंट्स को, कैथोलिक्स के विरुद्ध नहीं ले जा सकते। तब तुम कोई सीमा नहीं बांध सकते कि तुम इस व्यक्ति को इसलिए प्रेम नहीं कर सकते क्योंकि वह ज्यूइश है, चीनी है। दुनिया के नेता दुनिया को बांटना चाहते थे, परन्तु दुनिया को बांटने के लिए उन्हें बुनियादी बंटवारा करना होगा जो कि प्रेम का है।"


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