Osho - Hindi Books
Series : O
- Osho Dhyan Yog
बीज को स्वयं की सम्भावनाओं का कोई भी पता नहीं होता है। ऐसा ही मनुष्य भी है। उसे भी पता नहीं है कि वह क्या है-क्या हो सकता है। लेकिन, बीज शायद स्वयं के भीतर झांक भी नहीं सकता। पर मनुष्य तो झांक सकता है। यह झांकना ही ध्यान है। ...क्योंकि ध्यान ही वह द्वारहीन द्वार है जो कि स्वयं को स्वयं से परिचित कराता है।
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