Har Kshan Ko Jio - Osho

हर क्षण को जीओ  - ओशो 
Har Kshan ko Jio osho

आगे की चिंता में यह क्षण न चूको मत पूछो कि आगे क्या होना है! 
आगे की चिंता भी क्या ! जो इस घड़ी हो रहा है,उसे भोगो।  जो इस घड़ी मिल रहा है,उसे पिओ। जो इस घड़ी तुम्हारे पास खड़ा हैं,उसे मत चूको।  
जो नदी सामने बह रही है,झूको,डूबो,आगे क्या होता है ! आगे का खयाल आते ही,जो मौजूद है,उससे आंखे बंद हो जाती है।  

और चिंतन, चिंता, विचार, कल्पना,स्वप्न, चल पड़े फिर तुम।  फिर चले दूर सत्य से। फिर छूटे वर्तमान से।  फिर टूटे सत्ता से। 
सत्ता से टूटने का उपाय है, आगे का विचार। अगर थोड़ा सा सुख मिल रहा है,  उसे भोगो।  

तुम इस क्षण अगर सुखी रहे,तो अगला क्षण इससे ज्यादा सुखी होगा,यह निश्चित है। क्योंकि तुम सुखी होने की कला को को थोड़ा और ज्यादा सीख चूके होओगे।  
अगर इस क्षण तुम आनंदित हो, तो अगला क्षण ज्यादा आनंदित होगा, यह निश्चित है। क्योंकि अगला क्षण आयेगा कहां से?  
तुमै भीतर से ही जन्मेगा। तुम्हारे आनंद में ही सरोबार जन्मेगा। अगला क्षण भी तुमसे ही निकलेगा। 
अगर यह फूल गुलाब के पौधे पर सुंदर है, तो अगला फूल और भी सुंदर होगा। पौधा तब तक और भी अनुभवी हो गया। और जी लिया थोड़ी देर।
जीवन को और समझ गया। जीवन को और थोड़ा परिचित हो गया। तुम्हारा अगला क्षण तुमसे निकलेगा। 
तुम अगर अभी दुखी हो,अगला क्षण और भी ज्यादा दुखी होगा। तुम अगर अभी परेशान हो,अगले क्षण में परेशानी और बढ़ जायेगी,  
क्योंकि एक क्षण की परेशानी तुम और जोड़ लोगे।तुम्हारी परेशानी का संग्रह और बड़ा होता जाएगा।
इस क्षण की चिंता करो, बस उतना काफी है। इस क्षण के पार मत जाओ।  क्षण में जिओ। क्षण को जिओ। क्षण से दूसरा क्षण अपने – आप निकलता है, तुम्हें उसकी चिंता, उसका विचार, उसका आयोजन करने की कोई जरूरत नहीं है। 
और अगर तुमने आयोजन किया,तो तुम यहां चूक जाओगे। चूक से निकलेगा अगला क्षण, महाचूक होगी फिर। 
अगले क्षण तुम फिर अगले क्षण के लिए सोचोगे, तुम ठहरोगे कहां ?तुम घर कहां बनाओगे ? आज तुम कल के लिए सोचोगे, कल जब आयेगा तो आज की भांति आयेगा,फिर तुम कल के लिए सोचोगे।  कल कभी आया? 

जिसे तुम आज कह रहे हो, यह भी तो कल कल था। इसके लिए तो तुम कल सोच रहे थे, आज यह आ गया है, अब फिर आगे के लिए सोच रहे हो।  

यह तो दृष्टि की बड़ी गहरी भ्रांति है। इससे थ सामने है,  वह त़ दिखता ही नहीं और जो नहीं होता है, उसका हम विचार करते जाते है।


जिन सूत्र - ओशो 

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