Osho Hindi Books
Series : P
- Phir Amrit Ki Bund Padi
"देश तो होते ही नहीं। देश तो झूठ हैं। राष्ट्र तो मनुष्य की ईजाद हैं। असलियत है व्यक्ति की। इस देश ने गौतम बुद्ध, उपनिषद के ऋषि, महावीर, आदिनाथ--आकाश की ऊंचाई से ऊंचाई छुई है। वह भी एक भारत है। वही पूरा भारत होना चाहिए।
और, एक भारत और भी है। राजनीतिज्ञों का, चोरों का, कालाबाजारियों का। भारत के भीतर भारत है।
इसलिए यह सवाल नहीं है कि कौन देश श्रेष्ठ है और कौन देश अश्रेष्ठ है? सवाल यह है कि किस देश में अधिकतम श्रेष्ठ लोगों का निवास है और किस दिश में अधिकतम निकृष्ट लोगों का निवास है। भारत में दोनों मौजूद हैं।"—ओशो
- Phir Patto Ki
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- Prabhu Mandir Ke
बूढ़ा आदमी परमात्मा तक कभी नहीं पहुंचता है, नहीं पहुंच सकता। बूढ़ा आदमी सिर्फ कब्र तक पहुंचता है और कहीं नहीं। लेकिन ध्यान रहे, मैं बूढ़े आदमी को--शरीर से बूढ़े आदमी को--बूढ़ा आदमी नहीं कह रहा हूं।
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- Prem Hai Dwar Prabhu
"जहां प्रेम है वहां भय की कोई संभावना नहीं। अगर हम भय को निकालने की कोशिश करेंगे, तो हम ज्यादा से ज्यादा जड़ता को उपलब्ध हो सकते हैं, अभय को नहीं। अगर हम प्रेम को जन्माने की कोशिश करें, तो भय प्रेम के जन्म के साथ ही वैसे ही नष्ट हो जाता है"
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- Prem Ke Phool
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- Prem Rang Ras
कठिनाई चाहे प्रेम के पंथ की हो या ध्यान के मार्ग की, पंद्रह प्रवचनों की इस प्रश्नोत्तर प्रवचनमाला में ओशो ने सभी प्रश्नों के अत्यंत सरल और सुबोध समाधान दिए हैं।
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