🔴नंगापन मन की एक वृति है
सरलता निर्दोष चित---फिर नग्नता भी सार्थक हो जाती है अर्थपूर्ण हो जाती है वह भी एक सौंदर्य ले लेती है
लेकिन अब तक आदमी को जहर पिलाया गया है और जहर का परिणाम यह हुआ की हमारा सारा जीवन एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक विषाक्त हो गया है
स्त्रियों को हम कहते हैं पति को परमात्मा समझना!और उन स्त्रियों को बचपन से सिखाया गया है
की सेक्स पाप है नर्क है वे कल विवाहित होंगी
वे उस पति को परमात्मा मान सकेंगी ? जो उन्हें सेक्स में और नर्क में ले जा रहा है
एक तरफ हम सिखाते हैं पति परमात्मा है और पत्नी का अनुभव कहता है की यह पहला पापी है जो मुझे नर्क में घसीट रहा है
एक बहिन ने मुझे आ कर कहा पिछली मीटिंग में जब मैं यहां बोला भारतीय विद्या भवन में तो एक बहिन मेरे पास उसी दिन आई और उस ने कहा की मैं---' मैं बहुत गुस्से में हूँ सेक्स तो बड़ी घ्रणित चीज है सेक्स तो पाप है और आपने सेक्स की इतनी बात क्यों की ? मैं तो घृणा करती हूँ सेक्स को
अब यह पत्नी है --- इसका पति है इसके बच्चे हैं बच्चियां हैं और यह पत्नी सेक्स को घृणा करती है
वह पति को कैसे प्रेम कर सकती है जो इसे सैक्स में ले जा रहा है यह उन बच्चों को कैसे प्रेम कर सकती है जो सैक्स से पैदा हो रहे हैं इसका प्रेम जहरीला रहेगा
इसके प्रेम में जहर छिपा रहेगा पति और इसके बीच एक बुनियादी दीवाल खडी रहेगी बच्चों और इसके बीच एक बुनियादी दीवाल खड़ी रहेगी
क्योंकि वह सैक्स की दीवाल और सेक्स की कंडेमनेशन की व्रती बीच में खड़ी है
ये बच्चे पाप से आए हैं ये पति और मेरे बीच पाप का सम्बन्ध हैं
और जिनके साथ पाप का सम्बन्ध है उनके प्रति हम मैत्रीपूर्ण हो सकते है ? पाप के प्रति हम मैत्रीपूर्ण हो सकते हैं ?
सारी दुनिया का ग्रहस्थ-जीवन नष्ट किया है सेक्स को गाली देने वालों निंदा करने वाले लोगों ने और वे इसे नष्ट करके जो दुष्परिणाम लाए हैं
वह यह नहीं है की लोग सैक्स से मुक्त हो गए हों जो पति अपनी पत्नी और अपने बीच एक दीवाल पाता है पाप की वह पत्नी से कभी भी तृप्ति नहीं अनुभव कर पाता
तो आसपास की स्त्रियों को खोजता है वेश्याओं को खोजता है खोजेगा
अगर पत्नी से उसे तृप्ति मिल गई होती तो शायद इस जगत की सारी स्त्रियां उसके लिए माँ और बहन हो जातीं
लेकिन पत्नी से भी तृप्ति न होने के कारण सारी स्त्रियां उसे पोटेंशियल ओरतों की तरह पोटेंशियल पत्नियों की तरह मालूम पड़ती हैं जिनको पत्नियों में बदला जा सकता है
यह स्वाभाविक है यह होने वाला था क्योंकि जहां तृप्ति मिल सकती थी वहां जहर है पाप है और तृप्ति नहीं मिलती और वह चारों तरफ भटकता है और खोजता है
और क्या क्या इजादें करता है खोजकर आदमी
अगर इन सारी इजादों को हम सोचने बैठें तो घबरा जाएंगे की आदमी ने क्या क्या इजादें की हैं
लेकिन एक बुनियादी बात पर ख्याल नहीं किया की वह जो प्रेम का कुआं था वह जो काम का कुआं था
वह जहरीला बना दिया गया है
ओशो
सम्भोग से समाधि की ओर♣️
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